हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्व होना बहुत ही जरूरी है। अगर इनमें से किसी एक में भी कमी हुई, तो हमारे शरीर को बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इन्ही में से एक है हिमोग्लोबिन जो लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। तो आईए जानते हैं, हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करें, हिमोग्लोबिन की कमी के लक्षण, हिमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोग, शरीर में हिमोग्लोबिन कितना होना चाहिए।
हिमोग्लोबिन क्या है? (Hemoglobin kya hai)
हिमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है, जो उत्तकों तक ऑक्सीजन को पहुँचाता है। और अगर शरीर के किसी अंग में ऑक्सीजन काम या ज्यादा हो जाए तो उसे बैलेंस करने का काम भी हिमोग्लोबिन का ही होता है। यानी की हिमोग्लोबिन हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोटीन है, जिसकी कमी से हमारे शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न हो सकती है। तो आईए जानते हैं कि अगर शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाए तो उसे दूर कैसे किया जाए ?
हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करें ?
वैसे तो हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के बहुत से तरीके हैं। जैसे एलोपैथी की दवाइयां, डब्बे बंद सप्लीमेंट्स और घरेलु उपाय। लेकिन आज के इस लेख में हम जानेंंगे घरेलु उपाय और नुस्खों के बारे में।
शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए कुछ आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। जैसे की -
आयरन
हीमोग्लोबिन की कमी का सबसे मुख्य कारण
आयरन होता है। अगर आयरन की मात्रा हमारे शरीर में घटती है, तो हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है। क्योंकि आयरन हीमोग्लोबिन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, जो रक्त में ऑक्सीजन ले जाने के लिए सहायक होता है। आयरन की पूर्ति के लिए आप:
ड्राई फ्रूट्स में - अंजीर, खजूर, किशमिश, काले जैतून।
दालों में - मसूर दाल, चना दाल, राजमा आदि।
बीजों में - कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज और अलसी के बीज आदि।
साग और सब्जियों में - मैथी, पालक, सरसों के साग इसके अलावा ब्रोकोली और हरे बीन्स में भी आयरन होता है।
फलों में - एवोकाडो, तरबूज, स्ट्राबेरी, अनार, सेब चकूंंदर (बीटरूट) आदि।
विटामिन बी12
वैसे तो
विटामिन बी12 मुर्गा, मछली, अंडे और अन्य मांसाहार द्वारा प्राप्त होता है। लेकिन मांसाहार करना गलत है, इसलिए आप दूध और दही का सेवन कर सकते है।क्योंकि इनमें भी भरपूर मात्रा में विटामिन बी12 होता है।
फाॅलेट (फाॅलिक एसिड)
फाॅलेट एसिड को
विटामिन बी9 भी कहा जाता है। जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायता करता हौ, और डीएनए संश्लेषण के लिए भी यह बहुत ही आवश्यक है। इस विटामिन की पूर्ति के लिए आप ब्रोकोली, केला, मूंगफली, अंकुरित अनाज और हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन कर सकते हैं।
विटामिन सी
इस विटामिन का काम है हमारे शरीर की सहायता करना। ताकि हमारा शरीर आयरन को बड़ी आसानी और तेजी से अवशोषित कर सके इसलिए जितना हो सके विटामिन सी से भरपूर फलों का भी सेवन करना चाहिए। जैसे - संतरा, नींबू, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, कीवी, टमाटर आदि।
हीमोग्लोबिन को तुरंत कैसे बढ़ाएं ?
वैसे तो ऊपर दिए गए नुस्खों द्वारा किसी मनुष्य का हीमोग्लोबिन साधारण गति से बढ़ता है, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका घटा हुआ हीमोग्लोबिन 15 से 30 दिनों में ही बढ़ना चालू हो जाए। तो आप
आचार्य मनीष द्वारा बताए गए इस नुस्खे का पालन कर सकते हैं। जिसमें आचार्य मनीष जी ने बताया है, कि कैसे आप अपने शरीर के घटे हूए हीमोग्लोबिन को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आपको चार टमाटर लेने हैं और उन्हें नीचे के साइड से चार भागों में आधा काटना है, लेकिन ध्यान रहे की काटने के बाद टमाटर का दूसरा हिस्सा जुड़ा रहना चाहिए। उसके बाद चारों टमाटरों को हल्की आंच में 15 से 20 मिनट तक उबालना है। उबालने के बाद ठंडा करके किसी सूती कपड़े से टमाटरों का रस निचोड़ लेना है। और उसे चाय के जैसे शिप - शिप कर आराम से 5 मिनट तक पीना है। इसके लगातार 30 दिनों के सेवन के बाद आपको अपने हीमोग्लोबिन की मात्रा में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण।
हीमोग्लोबिन हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक
प्रोविटामिन है। जब शरीर में इसकी कमी हो जाती है तब हमारे शरीर में ए लक्षण दिखाई देते हैं -
1. सांस फूलना
2. थकान और कमजोरी
3. चक्कर आना
4. त्वचा पीला पडना
5. चिड़चिड़ापन
6. दिल की धड़कन तेज होना।
हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोग।
1. एनीमिया - एनीमिया का मुख्य और सबसे बड़ा कारण है हीमोग्लोबिन की कमी।
2. थैलेसीमिया - यह एक अनुवांशिक विकार है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करता है।
3. सिकल सेल एनीमिया - यह भी एक अनुवांशिक विकार है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। और उन्हें सिकल के आकार का बना देता है। जिससे शरीर में उसका प्रवाह रुक जाता है।
स्वस्थ शरीर में सामान्य हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए ?बच्चों में
जन्म - 13.5 to 24.0 g/dl <1महीना - 10.0 to 20.0 g/dl 1 - 2 महीना - 10.0 to 18.0 g/dl 2 - 6 महीना - 9.5 to 14.0 g/dl 0.5 - 2 साल - 10.5 to 13.5 g/dl 2 - 6 साल - 11.5 to 13.5 g/dl 6 - 12 साल - 11.5 to 15.5 g/dl
महिलाओं में
12 - 18 साल - 12.0 - 16.0 g/dl
18 साल से अधिक 12.1 to 15.1 g/dl
पुरूषों में
12 - 18 साल 12.0 to 16.0 g/dl
18 से अधिक 12.1 to 15.1 g/dl
डिस्क्लेमर - आर्टिकल में दी गई जानकारी आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा बताई गई है, जिसका सेवन कर आप अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। लेकिन गंभीर समस्याओं के लिए अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श जरूर लें धन्यवाद।